मेरा घर बुलाता है। (mujhe mera ghar bulata hai) hindiiikaviii new poetry home poetry mera ghar poetry
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जीवन के जिस पड़ाव मे आप अकेला महसूस करते है।ज्यातर वहलोग जो घर से बाहर रहते है। वे अपन घर को याद करते है।उनके लिये ये चंद लाइने अगर अच्छी लगे तो जरूर शेयर करें।
मुझे मेरा घर बुलाता है।
जहां खेला मै माटी।
जहां कि मैने शैतानिया।
सोता था जहां शुकून से।
जहा हर तरफ है यादो कि निशानिया।
बहुत बडा न सही पर
उसके सामने छोटी फीकी सी लगती है दुनिया।
शहरो के इन मकानो मे जब मेरा दम घुटने लगता है।
लगता हू जब अकेला सा इस भीड मे मै।
तब वो मेरे घर का चौखट याद आता है।
मुझे मेरा घर बुलाता है।
जीवन का अनमोल हिस्सा मै जहा जिया।
खेला हंसा शरारते न जाने क्या क्या किया।
तेरे पास जितना भी जिया मै खुल के जिया।
बात सच्चे जीवन की हो।
जब बात सच्चे धन की हो।
जब बात मेरे मधुवन की हो।
बस तेरा ख्याल ही आता है।
मेरा घर मुझे बुलाता है।
जहां कि मैने शैतानिया।
सोता था जहां शुकून से।
जहा हर तरफ है यादो कि निशानिया।
बहुत बडा न सही पर
उसके सामने छोटी फीकी सी लगती है दुनिया।
शहरो के इन मकानो मे जब मेरा दम घुटने लगता है।
लगता हू जब अकेला सा इस भीड मे मै।
तब वो मेरे घर का चौखट याद आता है।
मुझे मेरा घर बुलाता है।
जीवन का अनमोल हिस्सा मै जहा जिया।
खेला हंसा शरारते न जाने क्या क्या किया।
तेरे पास जितना भी जिया मै खुल के जिया।
बात सच्चे जीवन की हो।
जब बात सच्चे धन की हो।
जब बात मेरे मधुवन की हो।
बस तेरा ख्याल ही आता है।
मेरा घर मुझे बुलाता है।
आपका धन्यवाद
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Jay shri ram
Jay shri ram
Awesome
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