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Kyu bharat ka no. 1 village hai bhajikhera ?

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Official blogger जय हिंद मित्रो । जैसा कि आप जानते ही होंगे कि भाजीखेरा भारत के मुख्य गांवो मे से जाना जाता है । भाजीखेरा की कुछ अनोखी बाते, उसका स्वर्णिम इतिहास उसे अलग बनाता है । भाजीखेरा पूरे भारत वर्ष का एकमात्र ऐसा गांव रहा है जो कभी किसी का गुलाम नही रहा है । इसके पीछे इस गांव की एकता संगठन और उनका साहस था। कहते है यहा के लोग बाहर की दुनिया से कम मतलब रखते थे । क्योंकि भाजीखेरा पुराने समय मे भी आत्मनिर्भर और विकसित गांव था । यहां के लोगो ने चने की खेती विश्व मे पहली बार की थी ।और इसी के कारण इसे भाजीखेरा नाम दिया गया था । चीनी यात्री फाह्यिम का कहना था कि  भाजीखेरा विश्व की सबसे खुशहाल रियायत थी । यहा कि कानून व्यवस्था को चलाने के लिये हर वर्ग के बुध्द जीवियो की एक पंच सभा होती थी जो न्यायिक कार्यो के लिए बनाई गई थी । यहां भगवान् शिव का भव्य मंदिर है। जो बहुत प्रसिद्ध है । भाजीखेरा कुछ समय पहले हि एक नये रूप मे उतरा है । इसीलिए अभी भी इसकी कुछ झलकिया यहा के पुराने इतिहास से परिचित कराती है। भाजीखेरा को चने, वैज्ञानिक क्रषि , तथा  संवैधानिक  व्यवस्था का जनक कहा जाता है।

Bhajikhera a spacial village

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भाजीखेरा -एक अनोखा गांव  नमस्ते मित्रो । जी हा भाजीखेरा पूरे देश के कुछ विशेष गांवो मे से है । आपको बता दे यह मध्यप्रदेश के सतना जिले के नागोद तहसील मे स्थित है । इसका गौरवशाली इतिहास सबको चौंका देता है । हालांकि यह एक सामान्य गांव जैसा ही है परंतु यह सामान्य गांव नही है। कैसा है गाँव  यह सामान्य गांव की तरह एक विकास शील गाँव है । इसकी जनसंख्या लगभग 5000 होगी । शहरी क्षेत्र से दूर होकर भी लगभग 30 से अधिक बस पूरे दिन सेवा प्रदान करती है। यहा ब्राह्मण तथा क्षत्रिय के बीच अच्छा सामंजस्य देखने को मिलता है। विशेष स्थान  इस गांव मे कोटेश्वर नाथ का भव्य मंदिर है जहा हर रोज हजारो भक्त देश के कोने कोने से आते है। जोगिनी माता का आशीर्वाद इन्हे हमेशा सहायक रहा है। जोगिनी माता की पूजा-पाठ भी बहुत  प्रसिद्ध है। भाजीखेरा भारत वर्ष का एकमात्र ऐसा गांव रहा है।जो कभी किसी का गुलाम नही हुआ । आज भी भाजीखेरा ने अपने अंदाज को जारी रखा है।  कहा जाता है इस गांव को अग्रेज हर हालत मे पाना चाहते थे। क्यो कि वहा खजाना , वातावरण, और उस गांव का भय इनकी रातो की नीद छीन रखा था। पर उनका मकसद